Thursday 4 April 2013






तेरे लाख चाहने वाले होंगे
मेरा कोई तेरे सिवा नहीं
तेरे बाद मेरी निगाहों में
कोई और मुझे जंचता नहीं
मैं किसी की होके रहीं नहीं
मेरा कोई होके रहा नहीं
मेरी मंजिलों का निशां है तू
मेरे दिल को तेरे दिल तक
कोई रास्ता मिला ही नहीं
अब क्या किसी से गिला करू
जब तुमने ही मुझे अपने
प्यार के काबिल समझा ही नहीं















खुद को भुला के
तुझको चाहा मैंने
तुम्हारे बिना मेरी
जिंदगी कितनी अधूरी
होती इसका अंदाजा
भी नहीं है तुम्हें
तुम्हारी हर नज़र में
रवानगी सी हैं
तुम्हारी हर अदा में
दीवानगी सी है
तुहारा प्यार है तो
मुझमे रूहानियत सी हैं
तुम हो तो में ज़िंदा हूँ
मुझमे जीने की उमंग है
तुम्हारा प्यार हैं तो
जैसे सबकुछ पा लिया मैंने
खुद को भुला के
तुझको चाहा मैंने......





तेरे आने की आहट सुनी हैं
दिल ने जब से
निगाहें दरवाज़े पर
अटकी हैं तब से
याद आ गया वो
पहली मुलाक़ात का मंज़र
कुछ तुम् मुझमे खोये थे
कुछ मैं तुझमे खोई थी
कैसे गुज़रे वो पल
कुछ याद नहीं
कब हम मिले कब बिछड भी गए
कहाँ हुई तुमसे मुलाक़ात
कुछ याद नहीं
कितने मासूम से थे वो जज़्बात
कुछ याद नहीं
बेखुदी हद से बढ़ गई
जब प्यार हुआ तुमसे
तेरे प्यार की सौगात से
जीवन महक उठा
अब तो बस तेरे एहसास हैं
जो हर वक्त मेरे साथ हैं....
तेरे आने की आहट सुनी हैं
दिल ने जब से.......








बाद मुद्दत के मिले हैं
चलो कुछ दूर साथ चले 
ख़ामोशी को रहने दे 
दरमियां तेरे मेरे 

एहसासात को जिए 
लम्हों को थाम लें 
आँसुओं की बूंदों को 
पलकों में बांधे
कुछ पल ठहर जाए 

खामोश-सा साहिल हैं
ज़मीन भी चुप है 
यूँ ही बस 
एक दूजे को निहारे 
दर्द संवारें 

फिर बारिश में भीगे 
लब से कोई 
शिकवा या शिकायत न करे 
रुसवाई की भी 
कोई बात न करे 

चलो कुछ दूर साथ चले 
और फिर मिलने 
का वायदा करें 

Sunday 31 March 2013







रात ढलती रही

मैं और चाँद 

एक दूजे को तकते रहे 

चाँद मेरी तरह पिघलता रहा 

नींद में सारी रात चलता रहा 

जाने किस गम में गिरफ्ता था 

मुंह पे बादल को ओढता रहा 


मैं भी रात की चादर में लिपटी रही 


यादो के जंगल में भटकती रही


और वो मुझेसे दूर भागता रहा 


कोई तो था जो साथ मेरे चलता रहा 


ख्वाब ही ख्वाब में बहलाता रहा


बस उसके एहसासों में 


रात ढलती रही....




मैं तो सदा से तुम्हारी ही थी पर
तुमने कभी मुझे कुछ समझा ही नहीं
अब कौन तुम्हें चाहेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हें सराहेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हारा इंतज़ार करेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हारे दर्द को अपना मानेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हारी खामोशियों को सुनेगा
मेरी तरह
संग गुज़ारे लम्हें याद करोगे जब
तब समझ पाओगे मेरे प्यार को
फिर ना मुझे पा सकोगे
यही सोचके फिर पछताओगे एक दिन....






मेरा प्यार मेरे आंसू 
एक दिन रुलायेंगे तुम्हें 
क्या-क्या दर्द दिए तुमने 
एक दिन समझायेंगे तुम्हें 
दिल ने तुम्हें चाहा 
बस इतनी सी खता हुई 
जिसके लिए तुमने दिल पे 
कहाँ-कहाँ किस मोड़ पे 
कितने सितम किये 
कभी किसी दिन तन्हाई
में याद जब करोगे मेरा प्यार
उस दिन मेरे आँसुओ का 
मोल समझ पाओगे शायद तुम