मैं तो सदा से तुम्हारी ही थी पर
तुमने कभी मुझे कुछ समझा ही नहीं
अब कौन तुम्हें चाहेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हें सराहेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हारा इंतज़ार करेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हारे दर्द को अपना मानेगा
मेरी तरह
अब कौन तुम्हारी खामोशियों को सुनेगा
मेरी तरह
संग गुज़ारे लम्हें याद करोगे जब
तब समझ पाओगे मेरे प्यार को
फिर ना मुझे पा सकोगे
यही सोचके फिर पछताओगे एक दिन....
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